Saturday, 1 June 2013

न जाने किसकी है बारी



दिनों दिन
बढ़ता जा रहा है
माओवादी
आतंकवाद का तांडव
भयभीत है मानव
छोटे-छोटे हमले से शुरू होकर
अब होने लगे हैं
बर्बर हमले
देश की आन्तरिक सुरक्षा को
सबसे बड़ा खतरा
वामपंथी अतिवाद
नक्सलवाद का गहराता साया
साफ  साफ नज़र आता है
कारण है
केंद्र तथा राज्यों में
राजनीतिक इक्षा शक्ति का अभाव
धीरे धीरे पसरता जा रहा है
नक्सली प्रभाव
आज सबसे बड़ी समस्या
आतंकवाद से भी बड़ी समस्या
नक्सली हिंसा है
बुरी तरह कुछ राज्य इसमे फसा है
इस विनाशकारी घड़ी में
सरकार
सुरक्षाबलों
खूफिया एजेंसियों
राजनीतिक कार्यकर्ताओं और आमजन
अपने कर्तव्यबोध को जानें
यही निर्णायक घड़ी है
यह मानें
अक्षम्य भयावह चूक से बचें
ठोस आर-पार की कारवाई हो
जो जनता को जँचे
सर के ऊपर से बहने लगा है पानी
उसे अपनी औकात दिखाएं
हिंसा की  फिर वारदात  न करने पाए
यह सोचना लाजिम है
कल थी छत्तीसगढ़ की  बारी
आने वाले दिन में
न जाने किस राज्य की है पारी .

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