Sunday 9 June 2013

एक दूजे के लिए



देह रचना की पारम्परिक परिभाषा
और मानकों के अनुरूप
शीरी
लैला
हीर
रूपमती
मंजरी
अनारकली
मस्तानी
वसंत सेना
सोहनी
क्लियोपेट्रा
हेलेना
जोसेफीन
ज्यूलियट
महान रूपवती नहीं थीं

फ़रहाद
मजनू
रांझा
बाज बहादूर
लोरिक
सलीम
बाजीराव
देवदास
चारुदत्त
महिवाल
एंटोनी
पेरिस
नेपोलियन
रोमियो
परम रूपवान
देहयष्टि के लिहाज से
बलिष्ठ पुरुष थे
ऐसी बात नहीं

सभी प्यार के रंग में रंगे थे
प्रेम में एक दूसरे के सगे थे
प्रेम की आन्तरिक बुनावट
उसे निखारती है
सौन्दर्य दिल के भीतर
रोशनी की किरण बनकर दमकता है
खुबसूरती त्वचा के सतह पर नहीं
इसकी गहराई में होता है
प्यार ह्रदय से होता है
प्रेमी इसीमे जीता है
कभी ठंढा नहीं होता है
निष्ठावान ह्रदय
गर्माहट लिए हमेशा
धड़कता  रहता है ह्रदय
प्रेमी के लिए
प्रेमिका के लिए
एक दूजे के लिए . .




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