Thursday, 13 June 2013

कुर्सी का मोह



एवरेस्ट से लुढककर 
तराई में धराशायी हो गए 
पार्टी से निकलकर 
मान मनौवल के बाद 
फिर शीर्ष पद पर आ गए 
वाह रे जिन्दगी 
कुर्सी के मोह में 

उम्र अधिक हो गई 
राजनीति से निवृति नहीं लेंगे 
शारीरिक क्षमता क्षीण हो गई 
पद से इस्तीफा नहीं देंगे 
वाह रे जिन्दगी 
कुर्सी के मोह में

कौन कहता है 
इस्तीफा देना और पुनः स्वीकार करना 
अर्थहीन एवं बचकानी है
किसी के सही सलाह पर 
राजनीति में बने रहना नादानी है
वाह रे जिन्दगी
कुर्सी के मोह में

आज सभी नेताओं को
मान मनौवल भाती है
बूढ़े उम्र में भी रवानगी
कुर्सी पर बैठने से आती है
वाह रे जिन्दगी
कुर्सी के मोह में

युवा वर्ग एकजुट होकर
शोर मचाओ नारे लगाओ
राजनीति में
कुर्सी पर जमे रहने के लिए
अनुभव के साथ दाँव पेंच भी जरुरी है
वाह रे जिन्दगी
कुर्सी के मोह में । 

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