Monday, 3 June 2013

राजनीति

                                                                                                                                                                   

यह कहते हैं
' नीति का जहां होता है अंत
होती है वहीँ राजनीति की शुरुवात '
राजनीति के गुरु बृहस्पति ने कहा है
राजनीति का मूल मंत्र है
' किसी पर बिश्वास मत करो '
तब राजनेता को क्यों कोसते हैं
राजनेता का जनता के साथ प्रतिकूल ब्यवहार
मूल मंत्रो के आधार पर उचित है
राजनेताओं का जनता से सम्पर्क
मात्र वोट तक अनुचित है
कुछ नेताओं के स्वार्थ लिप्सा मनमानी के कारण
देश निरन्तर रसातल की ओर बढ़ रहा है
छल कपट द्रोह हिंसा का पारा
दिनोदिन चढ़ रहा है
हम जागें नेता को जगाएं
राष्ट्र कल्याण के लिए
नेता की अकर्मण्यता को भगाएं
देश-प्रेम सर्वोपरि है
राष्ट्रीयता में राजनीति
लाती है दुर्गति
यह महापुरुषों की वाणी है
इसे करना होगा साकार
हम नहीं हैं लाचार
उसमे अदभूत शक्ति निहित है
जो करते हैं देश से प्यार
मानव-धर्म को माने 
अपनी शक्ति पहचाने।  


   

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