Wednesday 18 June 2014

गर्मीं और प्रेयसी

  
दिन भर की चुभती गर्मी 
चिलचिलाती धूप 
कहर बरसाती तपिश में 
राहत की बूंदे पड़ी 
चुलबुली बंद दरवाजे खोल 
घर से निकली 
हल्की वारिस से 
तपती शाम में ठंढक घुली 
फ़िज़ा भी बदली 
निग़ाहें चाहती थी 
तपती बहती हवा में भी 
चुलबुली 
संगमरमरी 
जानेमन को देखना 
देखते ही मिलती है 
शांति 
तरावट 
राहत 
वशर्ते कि 
वह प्रेमिका हो 
प्रेयसी हो 
प्यारी हो 
न्यारी हो । 

Monday 16 June 2014

दोस्ती का परचम

टकराव और हिंसामुक्त वातावरण से
संबंधो को आगे बढ़ाएं
वैमनस्य
कटुता
कूटनीति छोड़
मधुर  व्यवहार से
एकजुटता दिखाएं
यह मिशाल विश्व को
एक नया राह दिखाएगा
पड़ोसी देश से
आपसी दोस्ती का परचम
हर ओर लहराएगा।

सीमा और शांति

साड़ी, शॉल और खत
कहीं ला मत देवे आफ़त
इसमें छिपी तो नहीं है कूटनीति
फिर क्यों माहौल बिगाड़ने की
दिख रही है स्थिति
क्यों दागे जा रहे हैं
सीमाओं के सेक्टरों पर
भारी गोलाबारी मोर्टार
क्यों नहीं दिख रहा है
अपनापन, प्रेम, सौहार्द्य
क्यों  करते हो बार बार
सीज फायर  का उल्लंघन
तेरी हरकतों से कैसे विश्वास करें जन गण
फिर भी याद दिलाता हूँ
सीमा पर शांति
भारत की प्रमुख प्राथमिकता है
यह आदत अगर सुधर जाय
तब ही भारत से सच्ची मित्रता है।