चुनाव सर पैर है
सब पार्टियाँ
एक दुसरे पर
कर रही हैं तीखे प्रहार
अशोभनीय बयानबाज़ी
अमानवीय करतूतों का
हो रहा है प्रचार
चन्द फायदे के लिए किया जाएगा
नए प्रत्याशी को शामिल
पहले वे रहेंगे हिल-मिल
फिर पार्टी की होगी फज़ीहत
इतिहास लिखेगा हक़ीकत
चुनाव से पहले हर दल में
तमाम पैराशूटर आते हैं
टिकट भी हथियाते हैं
जीत गए तो पार्टी गले लगाती हैं
हार गए तो दुत्कारने से
बाज़ नहीं आती हैं
यह समय चिन्तन-मनन का हैं
हार जीत या तत्कालिक फायदा
पार्टी के सिद्धान्तों और नीतियों से
सामंजस्य कैसे बिठा सकता हैं
राजनीति को साफ़ कैसे रहने दे सकता है।
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