Friday, 31 May 2013

चुनाव



चुनाव सर पैर है 
सब पार्टियाँ 
एक दुसरे पर 
कर रही हैं तीखे प्रहार 
अशोभनीय बयानबाज़ी 
अमानवीय करतूतों का 
हो रहा है प्रचार
चन्द फायदे के लिए किया जाएगा 
नए प्रत्याशी को शामिल 
पहले वे रहेंगे हिल-मिल 
फिर पार्टी की होगी फज़ीहत 
इतिहास लिखेगा हक़ीकत 
चुनाव से पहले  हर दल में 
तमाम पैराशूटर आते हैं 
टिकट भी हथियाते हैं 
जीत गए तो पार्टी गले लगाती हैं 
हार गए तो दुत्कारने से 
बाज़ नहीं आती हैं 
यह समय चिन्तन-मनन का हैं 
हार जीत या तत्कालिक फायदा 
पार्टी के सिद्धान्तों और नीतियों से 
सामंजस्य कैसे बिठा सकता हैं 
राजनीति को साफ़ कैसे रहने दे सकता है।

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