Wednesday, 29 May 2013

चुप्पी तोड़ो दोस्त



बताओ दोस्त 
आखिर क्या निकला 
उसके साथ घटे 
दुर्दिन शर्मनाक के क्षण का परिणाम 

हम प्रगति पर हैं 
बहुत जल्द पहुंचाए 
उस घटना को 
पूर्ण विवरण के साथ 
आकाशवाणी 
दूरदर्शन 
विभिन्न चैनलों के अलावा 
अनेक समाचार पत्रों में 
सुर्ख़ियों के साथ 
प्रसारित और प्रकाशित कर 

धरनाएं  
नारे 
पोस्टर 
जुलूस 
नारी के सवेदना को समेट कर 
निकाले गए प्रशासन द्वारा 
शांति बनाये रखने के लिए 
बरसी लाठियाँ 
फेंके गए 
छोड़े गए 
तेज पानी की बौछारें उनपर 

समझे न दोस्त 
क्या हुआ 
इन सबका परिणाम 
उस घटना के घटे 
दिन सप्ताह महीना वर्ष भी बीत गए 

क्या दोस्त 
फिर टाँय टाँय फिस्स ..
क्या अब भी लोग नहीं समझ पाए 
औरत एक निर्वाह है 
एक संस्कृति और सभ्यता है 
एक उपदेश है 
एक सदाचार है 
एक कुलीन दीपक है 
जो तिल तिल जलती है 
अंतिम साँस तक 
हादसों से टूटकर भी 
हौसले बुलन्द रखती है औरत 
आत्मविश्वास से लबरेज़ अपना जीवन 
अपने बलबूते पर जीती है औरत 

कभी कभी यह लगता है 
मेरे दोस्त 
ये बातें पुस्तकों में कैद हो गई हैं  
दूसरी पुस्तकें 
हवा में फडफडाई है 
जिसमे अंकित है 
नारी की अस्मिता पर लगे दाग 
बलात्कारियों की मनमानी 
हैवानियत को जकड़े 
कामुक स्थितियां 
बिगड़ती परिस्थितियां 
नारी की छटपटाती जिजीविषा 
जिसे सब देखते हैं 
सब पढ़ते हैं 
चाहकर भी नही बदल सकते 
घृणित घटनावों को 

तुम्हारे पास इसका हल है 
तो बताओ दोस्त 
चुप्पी तोड़ो दोस्त .   
 

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