Monday 9 November 2015

विकास के नाम पर

कभी कल कारखाने
कभी बड़े बांध
कभी खदान
उजाड़े जा रहे हैं
पुरखों के बसे बसाए गाँव
उजाड़ने के पश्चात 
नहीं सोचते उजाड़ने वाले
कहाँ बसेंगे ये उजड़े हुए लोग
नए नए बसते विकास के प्रतिष्ठानों में
भरते नित बाहर के बसे व खास विकसित लोग
नहीं पूछते वे उजड़े हुए नव जवानों को
तभी उजड़े हुए युवा 
जंगलों में डालने लगे हैं बसेरा
छः इंच छोटा करने का 
कसम ले रखा है
उजाड़ने हड़पने लूटने वालों के लिए
देश के भाग्य विधाता कहते हैं
यह मत पूछो देश ने तुम्हें क्या दिया ?
यह पूछो अपने आप से
तुमने देश के लिए क्या किया ?
नसीहत देते हैं
छः इंच छोटा करने के बदले 
एक इंच बड़ा करने का अभियान
क्यों नही चलाते ?
               -0-

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