Monday 9 November 2015

सखुआ

दूर दूर तक फैला जंगल
किस्म किस्म के पेड़-पौधे
इन सबके बीच
अपनी सांस्कृतिक पहचान लिए
खड़ा सखुआ।
सखुआ पेड़ पर सिंगबोंगा का वास
आतिथ्य सत्कार में
एक दोना डियंग, होडोंग, इली,
हड़िया का शुद्ध पात्र
दोना सखुआ का।

हर पूजा - पाठ
नेग - जोग
हर संस्कार में
सिंगबोंगा की बोंगाओं को
पुरखों को
तपान् देने के लिए
दोना - पत्तल सखुआ का धूवन
पर्यावरण की खुशबू के लिए
दमदार अग्नि के लिए
मति ओझा सोखा को
ज्ञात अज्ञात पढ़ने के लिए
खेत में सोना उगलने के लिए
दूरी मापने के लिए
उलगुलान या क्रांति का सन्देश देने के लिए
जीवन के हर क्रिया कलाप के लिए
हजार साल खड़ा
हजार साल पड़ा
हजार साल सडा
कहावत को साकार करता
सखुआ महान है
विद्यमान है
हमारी झारखण्ड की धरती पर।
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