Wednesday, 12 February 2020

सरस्वती वंदना


जय माँ जय माँ जय जय माँ।

जय माँ ! विद्यादायिनी माँ !
तुम वसन्त में आई माँ
रंगोत्सव तुम लाई माँ
होली त्यौहार सुहाई माँ
जय माँ .........

धन्यवाद हे मात शारदे
मुझपे उपकार किया तुमने
कलम प्रेमी तेरा सुत कहाऊँ
मुझे यह वरदान दिया तुमने
धन्यवाद अर्पित है तुझको
जय माँ .......

विमलसरस्वती वेदांतरूपणी
जय जय वीणापाणिनी माँ
मैं अबोध क्या तुझे बखानूं
जय जय मंजुलभाषिणी माँ
धन्यवाद अर्पित है तुझको
जय माँ .........

अखिल विश्व तेरा गुण गाए
नत मस्तक हो तुझे मनाए
तुझसे प्राणी सब कुछ पाए
कमलपुष्प माँ तुझे चढ़ाएं
धन्यवाद अर्पित है तुझको
जय माँ ..........

लेकर तुम बसन्त हो आती
दुःख का पतझड़ दूर भगाती
चाहत विद्या की हो जगाती
लहर ज्ञान की सदा बहाती
धन्यवाद अर्पित है तुझको
जय माँ .........

बीता ग्रीष्म वर्षा शरद हेमंत 
शिशिर गया आया वसन्त
छह ऋतुओं में वसन्त आते ही
धरा सुहाती दिग दिगन्त
ऋतु की महिमा धन्य है माँ
धन्यवाद अर्पित है तुझको
जय माँ ........

काव्य सृजन का मुझे ज्ञान दो
बुद्धि दायिनी कष्ट हरो
साहित्य जगत में अलख जगाऊँ
मन के पापों को नष्ट करो
नित नव नूतन पद्य गढ़कर
कुछ तो नया दिखादूँ माँ
धन्यवाद अर्पित है तुझको
जय माँ ..........
               ★★★
   © #कामेश्वर_निरंकुशती वंदना

जय माँ जय माँ जय जय माँ।

जय माँ ! विद्यादायिनी माँ !
तुम वसन्त में आई माँ
रंगोत्सव तुम लाई माँ
होली त्यौहार सुहाई माँ
जय माँ .........

धन्यवाद हे मात शारदे
मुझपे उपकार किया तुमने
कलम प्रेमी तेरा सुत कहाऊँ
मुझे यह वरदान दिया तुमने
धन्यवाद अर्पित है तुझको
जय माँ .......

विमलसरस्वती वेदांतरूपणी
जय जय वीणापाणिनी माँ
मैं अबोध क्या तुझे बखानूं
जय जय मंजुलभाषिणी माँ
धन्यवाद अर्पित है तुझको
जय माँ .........

अखिल विश्व तेरा गुण गाए
नत मस्तक हो तुझे मनाए
तुझसे प्राणी सब कुछ पाए
कमलपुष्प माँ तुझे चढ़ाएं
धन्यवाद अर्पित है तुझको
जय माँ ..........

लेकर तुम बसन्त हो आती
दुःख का पतझड़ दूर भगाती
चाहत विद्या की हो जगाती
लहर ज्ञान की सदा बहाती
धन्यवाद अर्पित है तुझको
जय माँ .........

बीता ग्रीष्म वर्षा शरद हेमंत 
शिशिर गया आया वसन्त
छह ऋतुओं में वसन्त आते ही
धरा सुहाती दिग दिगन्त
ऋतु की महिमा धन्य है माँ
धन्यवाद अर्पित है तुझको
जय माँ ........

काव्य सृजन का मुझे ज्ञान दो
बुद्धि दायिनी कष्ट हरो
साहित्य जगत में अलख जगाऊँ
मन के पापों को नष्ट करो
नित नव नूतन पद्य गढ़कर
कुछ तो नया दिखादूँ माँ
धन्यवाद अर्पित है तुझको
जय माँ ..........
               ★★★
   © #कामेश्वर_निरंकुश

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