Saturday 24 October 2015

किसके लिए झारखण्ड

आदिवासियों का हित 
एक प्रमुख एजेंडा रहा है
अलग राज्य के आंदोलन से लेकर
राज्य गठन तक।
हित को दरकिनार  कर
राज्य गठन क बाद 
राजनीति में एक लंबी लकीर
स्थानीय और बाहरी का मुद्दा
राज्य को और पीछे धकेला है
अब दिख रहा है 
गाँव-घर से राजधानी तक 
जंगल-झाड़ी की टेढ़ी-मेढ़ी सर्पिलो पगडंडियों से 
कोलतार से बनी
चमचमाती पसरी सड़को तक 
आदिम जन-जातियो की उपेक्षा
झारखण्ड की आदिम जातियो की 
नौ उप जातियाँ
असुर, बिरहोर, 
बिरजिया, हिल खड़िया, 
कोरबा, पहाड़िया,
माल पहाड़िया ,
संवर और सोरिया पहाड़िया 
झेल रही हैं उपेक्षा
दमित कर दी गयी है 
उनके हित की इच्छा
एक एक के दिमाग में 
एक ही प्रश्न 
पहाड़ की तरह तन गया है प्रचंड
किसके लिए बना झारखण्ड?
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