Monday 26 October 2015

वनवासी

आदिवासी
मूलवासी
वनवासी
जनजीवन की महागाथा
युग-युगों से समेटते
रहनेवाले ही हैं
वनवासी ।

विकास
प्रगति
उन्नति के नाम पर
झूठा भूमि अधिग्रहण
हो रहा है निरंतर
विस्थापित होते रहने वाले
पहाड़ -जंगलों के वासी
वनवासी ।

प्रदूषण
शोषण
दमन से जूझते 
सीमा से कहीं अधिक
दुःख क्लेष को झेलते
कष्ट सहते
धीर शांत मन से 
जीवन यापन करते
वनवासी।

प्रकृति से अभिन्न
अपनी व्यापक संस्कृति
जंगल-झाड़ी की तरह संघर्षरत
नदी नाले की तरह
प्रवाहमान
गतिमान रहकर
अविरल अथक परिश्रम करनेवाले
वनवासी।

किसी न किसी प्रकार
अनेकानेक षड्यंत्रों के शिकार
वन में जीवन यापन करने वाले
वन्य प्राणियों से स्नेह रखने वाले
नृशंस तांड़व उनकी देह पर
क्रमिक रूप से नष्ट होते
सामूहिक नर-संहार की चपेट में
घिरते 
विलुप्त होते
वनवासी।

सभ्य देशों द्वारा 
असभ्य व्यवहार के शिकंजे में कसते
नक्सलवादी हिंसा
माओवादी गुरिल्ला युद्धों को 
एक नए आकार प्रकार द्वारा 
परिभाषित करते 
अपनी गौरव- गाथा 
इतिहास के पन्ने में अंकित करते
हिंसा को स्वीकार किए वगैर
इक्कीसवीं सदी के धीर-वीर
वनवासी।
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