अँधेरी रात
सड़क के किनारे विशाल भवन
उस विशाल भवन के ठीक नीचे
पीछे तरफ
अँधेरे कोने में
झोपड़ीनुमा घर
मिट्टी के बने चूल्हे की आग से
रौशनी की काम लेती
एक औरत
गिन रही है
अपने बच्चों को खिलाने के लिए
सुबह की बनी हुई रोटियाँ
विशाल भवन के
एक सुसज्जित कमरे में
ए .सी ऑन कर
सारे दरवाजे खिड़कियाँ बंद कर
मध्यम नीली रौशनी में गिन रही है
एक औरत
अपने रखे नोट के गड्डियों को
निहारती है ख़रीदे गए आभूषण औ' जेवरात को
भविष्व में
सौन्दर्य प्रसाधन
आधुनिक वस्त्र
खरीदने के लिए
ताकि दिखा सके स्वयं को
मॉडर्न फैशनेबल एडवांस
भविष्व में होने वाली
किट्टी औ' कॉकटेल पार्टी में।
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