Wednesday, 3 April 2013

कान्हा और राधा



 कान्हा और राधा          
पहले कान्हा एक था
 राधा एक थी
और गोपियाँ अनेक थी
आज भी कान्हा एक है
राधा अनेक है
और गोपियाँ
सब राधा बनने को  तैयार
राधा बनने पर होंती है
आधुनिक कान्हा द्वारा तार तार
तभी तो
होली के अवसर पर
रंग खेलने के बहाने
घृणा पूर्ण हरकतें
नशीली वस्तुवों का प्रयोग
घूरती शरारती आंखे
आधुनिक वस्त्र
कामुक स्थिति जगाने में है सक्षम
कोई किसी से नहीं है कम
अपनापन
सौहार्द्य
प्रेम
कटता नज़र आता है
होली त्यौहार
परम्परावों से
टूटता और बिखरता नज़र अता है  

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