Monday, 18 November 2013

चुनावी घोषणा पत्र

राजनीतिक दल
मतदाताओं  को लुभाने के लिए
पुनः चुनावी घोषणा पत्र बनाने में है व्यस्त
हर वार की तरह इस वार भी
जनता यह देखकर है त्रस्त
घोषणा पत्र मात्र छलावा होता है
इसके बारे में ना तो उम्मीदवारों को
और ना ही राजनीतिक दल के
कार्य - कर्ताओं को होता है पता
यह मात्र दिखावा होता है
इसमें मतदाताओं को
मुंगेरी लाल के हसीन सपने
दिखाए जाते हैं
समय आने पर रेत की ढ़ेर की तरह
बिखर जाते हैं
सत्ता हासिल होने के बाद
घोषणा पत्र हवा हो जाता है
मतदाता इसके फेर में पड़कर
हाथ मलता रह जाता है । 









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