राजनीतिक दल
मतदाताओं को लुभाने के लिए
पुनः चुनावी घोषणा पत्र बनाने में है व्यस्त
हर वार की तरह इस वार भी
जनता यह देखकर है त्रस्त
घोषणा पत्र मात्र छलावा होता है
इसके बारे में ना तो उम्मीदवारों को
और ना ही राजनीतिक दल के
कार्य - कर्ताओं को होता है पता
यह मात्र दिखावा होता है
इसमें मतदाताओं को
मुंगेरी लाल के हसीन सपने
दिखाए जाते हैं
समय आने पर रेत की ढ़ेर की तरह
बिखर जाते हैं
सत्ता हासिल होने के बाद
घोषणा पत्र हवा हो जाता है
मतदाता इसके फेर में पड़कर
हाथ मलता रह जाता है ।
मतदाताओं को लुभाने के लिए
पुनः चुनावी घोषणा पत्र बनाने में है व्यस्त
हर वार की तरह इस वार भी
जनता यह देखकर है त्रस्त
घोषणा पत्र मात्र छलावा होता है
इसके बारे में ना तो उम्मीदवारों को
और ना ही राजनीतिक दल के
कार्य - कर्ताओं को होता है पता
यह मात्र दिखावा होता है
इसमें मतदाताओं को
मुंगेरी लाल के हसीन सपने
दिखाए जाते हैं
समय आने पर रेत की ढ़ेर की तरह
बिखर जाते हैं
सत्ता हासिल होने के बाद
घोषणा पत्र हवा हो जाता है
मतदाता इसके फेर में पड़कर
हाथ मलता रह जाता है ।
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