चुनावी मैदान में नेता जी
वादों का पिटारा लेकर आए हैं
पाँच वर्षों के बाद
जनता को फिर भरमाए हैं
जनता जानती है
आज बड़े -बड़े वादों के सहारे ही
राजनीति होती है
नेता जी !
जनता की उम्मीदों पर सिर्फ
आश्वासनों का मरहम नहीं लगाएं
आश्वासनों का कुछ प्रतिशत भी तो
वास्तविकता में लाएं
जनता चाहती है
हर बार की तरह
इस बार न गुनगुनाएं
कसमें वादें प्यार वफ़ा सब
वादें हैं वादों का क्या ।
वादों का पिटारा लेकर आए हैं
पाँच वर्षों के बाद
जनता को फिर भरमाए हैं
जनता जानती है
आज बड़े -बड़े वादों के सहारे ही
राजनीति होती है
नेता जी !
जनता की उम्मीदों पर सिर्फ
आश्वासनों का मरहम नहीं लगाएं
आश्वासनों का कुछ प्रतिशत भी तो
वास्तविकता में लाएं
जनता चाहती है
हर बार की तरह
इस बार न गुनगुनाएं
कसमें वादें प्यार वफ़ा सब
वादें हैं वादों का क्या ।
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