ज्योति पर्व यह मगलमय हो।
सृष्टि जगत पर सदा सदय हो।
संघर्षो की कठिन राह हो
या हो सघन अँधेरा ,
साहस सम्बल धीरज धर्म
हमसे कभी न क्षय हो।
कर्म के बल बढें सभी
उन्नति के पथ पर,
विघ्न बढाओं से जूझें
लेकिन सदा विजय हो।
दीप प्रज्वलित हो सर्वत्र
मिटे घोर अँधेरा,
हँसी खुशी हो हर प्राणी में
यह सदैव सुखमय हो।
रोग द्वेष भय मुक्त धरा हो
सुभ संचय हो ,
दुख दरिद्र विकार मिटे
इन सब का क्षय हो।
बुद्धि विवेक ज्ञान यश हो
नव ऊर्जा हो सिंचित,
ज्योति पर्व पर धरा
समूची ज्योतिर्मय हो।
सृष्टि जगत पर सदा सदय हो।
संघर्षो की कठिन राह हो
या हो सघन अँधेरा ,
साहस सम्बल धीरज धर्म
हमसे कभी न क्षय हो।
कर्म के बल बढें सभी
उन्नति के पथ पर,
विघ्न बढाओं से जूझें
लेकिन सदा विजय हो।
दीप प्रज्वलित हो सर्वत्र
मिटे घोर अँधेरा,
हँसी खुशी हो हर प्राणी में
यह सदैव सुखमय हो।
रोग द्वेष भय मुक्त धरा हो
सुभ संचय हो ,
दुख दरिद्र विकार मिटे
इन सब का क्षय हो।
बुद्धि विवेक ज्ञान यश हो
नव ऊर्जा हो सिंचित,
ज्योति पर्व पर धरा
समूची ज्योतिर्मय हो।
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