Sunday, 19 February 2017

रूठ गया वसंत

खुशियाँ लाने वाला वसंत
मौसम को मुस्कराता
बनानेवाला वसंत
खुशुबुओं का आंचल
फैलानेवाला वसंत
हमारे आस पास
प्रदूषण फ़ैल जाने के कारण
कहीं खो गया है
अब मौसम
मुस्कराता नहीं
कुछ माफियों ने
चन्द तस्करों ने
जमीन जल और जंगल पर
ऐसा कुचक्र कर रखा है कि
कोयल गाती है
थकी थकी सी
घरों से गौरैया गायब है
वनों से हरियाली गायब है
अब खिड़कियों से
झांकता नहीं है वसंत
आज वसंत
अब घाटियों में भी
नजर नहीं आता
उपभोक्तावादी
सांढ़ की तरह
स्वतंत्र चर रहा है
प्रकृति पर कहर ही कहर
मानो ठहर गया है प्रहर
मुद्रा अर्जित करने के चक्कर में
हमने पर्यावरण को
मुर्दा बना दिया
प्रकृति की
मुखमुद्रा बदल गई
प्रकृति अपनी कृपा छोड़
कोप की कारक बन गई
प्रकृति की ' प्रकृति' में
परिवर्तन हो गया
हम प्रकृति की रक्षा की
कामना छोड़
अपने स्वार्थों की साधना में
लीन रहे
जलवायु परिवर्तन पर
संगोष्ठियां - सेमिनार
आयोजित करते रहे
निहित हितों के कारण
जहरीली गैसों के
उत्सर्जन करते रहे
प्रदूषण से मुक्ति के लिए
कानून बनाते रहे
प्रकृति के प्रति
अत्याचारों की अति कर दी
तब वसंत रूठ गया
अब भी चेतें
समय की संकेत को समझे
प्रकृति से छेड़खानी बन्द करें
तब रूठ हुआ वसंत आएगा
प्रकृति को स्वर्ग बनायेगा।
           *****
      ©  #कामेश्वर_निरंकुश।

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