होली आई है
कोयल कूंके अमराई में
मन नहीं लगे तन्हाई में
राधा नाचे अंगनाई में
तब समझो होली आई है
जब आँख शर्म से झुक जाए
कुछ कहती कहती रुक जाए
साली जीजा पर लुट जाये
तब समझो होली आई है
अल्हड़ सी भरी जवानी हो
जब प्रियतम की मनमानी हो
हर एक अदा मस्तानी हो
तब समझो होली आई है
गालों पर लाली छा जाये
आँखों का काजल भा जाये
केशों में उंगली समा जाये
तब समझो होली आई है
अंग अंग जब फड़क उठे
बिना पिए मन तड़क उठे
रह रह कर जी चहक उठे
तब समझो होली आई है ...
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