Sunday, 31 March 2013

मस्ती लेकर होली आयी

 

अंगिया के टूटे सब बंध
मादक देंह यह लगे छंद
मन अब गाने लगा मल्हार
रंग की झड़ने लगी फूहार
फागुन की बहती बयार ने
पोर पोर में आग लगायी।
मस्ती लेकर होली आयी।।

बिंदिया फ़ैल गयी भाल पर
गुलाबी अबीर बिखरा गाल पर
खनक खनक कर कंगना बोले
बिखर बिखर कर गजरा डोले
अंग अंग रंग से भीगी
पूरी फिजा में मस्ती छाई।
मस्ती लेकर होली आयी।।

मादक पवन आग लगाये
जंगल झाड़ी बहुत सुहाए
खिल गया पलाश लाल लाल
प्रकृति की छटा हुई निहाल
पुरवइया बहती बहती धीरे धीरे
प्रेम प्रीत की आस जगाई।
मस्ती लेकर होली आयी।।

गेंहू की बालियाँ लगीं फूलाने
चने लगे यौवन पर आने हर
हरे खेत में सरसो फूली
आम्र मंजरी में सुध बुध भूला
नयी कोपलें फूट पड़ी हैं
सृष्टि रागिनी ने तान लगायी।
मस्ती लेकर होली आयी।।

कोयल कूक कूक गीत गाती
सब चिड़ियाँ मिल गीत सुनाते
फुदक फुदक कर हौले हौले
तोता मैना  डाल पर डोले
पंख पसार मोर नांच कर
मयूरी की पुकार लगायी।
मस्ती ले कर होली आयी।।


 

होली का प्रभाव

होली का प्रभाव 


आओ मस्ती में रंग लगाएं
भूल सभी भेद-भाव
कभी नहीं दिख पाए
आपस में अलगाव।
होली का यही प्रभाव।।

तन रंगे और मन रंगे
चाहत की बस आस जगे
लाल गुलाल गाल पर भाए
भूल कर बैरी भाव।
होली का यही प्रभाव।।

रंग रंगीला हर घर हो
मस्ती में डूबे नारी नर हो
ओसारे से गाँव तक फैली
प्रेम रंग की छाँव।
होली का यही प्रभाव।।

आग प्रकृति की छटा निराली
सातो रंग सजाने वाली
सात सुरों में मिल कर गाते
फगुआ गीत घर गाँव।
होली का यही प्रभाव।।

रंगों में घुली सोंधी गंध
माटी कहती कविता औ' छंद
हरी भरी टहनी पे बैठे
कोयल भरती है घाव।
होली का यही प्रभाव।।

ऋतुराज आज घर घर आए
पलाश फूल हैं वन में छाए
मन मयूर अब नाच नाच कर
दिखा रहा है भाव।
होली का यही प्रभाव।।

डूब कर रंग में अस्त व्यस्त
भांग घोंट हुए अलमस्त
लिए रंग पिचकारी में
हर कान्हा ढूंढे राधा सा भाव।

होली का यही प्रभाव।।

Saturday, 30 March 2013

मस्तीवाली आई होली

मस्तीवाली  आई  होली 


पग पग में हुड्दंग  मचावे
रंग  दिखावे  भाँग की  गोली
बात  बात  में हँसी ठिठोली     
भीगा  आंचल  भीगी  चोली
रस  में  डूबी  फाग  की बोली
मस्तीवाली आई  होली।

सुन्दर  गोरी  साँवरी  बाला
तान  रंगोली  क्या  लहराई
फागुन  की  बहती बयार में
नाचने लगी घर  अंगनाई
फाग  की ताल पे नाचे टोली
मस्तीवाली आई होली।  

फागुन मास तो आ ही गया
आओ गले हम मिल जाए
इस होली में राष्ट्र प्रेम का
प्रेम तराना झूम कर गाँए
माँ भारत की पुण्य भूमि पर
झगड़ा -वगड़ा मारो गोली
मस्तीवाली आई होली।
 

होली में कॉम्पटिशन

होली में कॉम्पटिशन 


मल्लिका शेरावत

लोगो के लिए आफ़त

राखी सावंत का आना

सबकी धड़कने बढ़ जाना

बूढ़े भी देखने के लिए तरसते हैं

फब्तियाँ एक दूसरे पर कसते हैं

दोनो होली मिलन में आई हैं

महफ़िल में आग लगाई हैं

एक तोप हैं, दूसरी बम हैं

कोई किसी से नहीं कम हैं

आज दोनो की होगी कॉम्पटिशन

आप संभाले अपनी पॉजिशन

एक मात्र तौलिया पहन आएगी

दूसरी रुमाल में दिख पाएगी

सभी इस दृश्य का कर रहे थे इंतजार

अचानक बिजली गुल होने के कारण दिल हुआ तार तार

सभी ने अँधेरे में रंग लगाया

इस वर्ष होली का भरपूर लाभ उठाया। 

Friday, 29 March 2013

होली महान है

होली महान है

कल ही रात
मेरे नन्हे ने
मेरे लल्ले ने
मेरे बेटे ने
मुझसे पूछी यह बात
होली में सभी लगाते हैं
तरह तर के रंग
चेहरा हो जाता है बदरंग
फिर भी क्यूँ झलकती है
सुबके चेहरे पर उमंग ?
बेटे ! यह भारतीय संस्कृति की छाप है
सब में रही व्याप्त है
वसंत के आगमन पर विविध रंग
पलाश के फूल लाल
कनैले का पीला
गुलाब की गुलाबी
वनमंजरी  का नीला
फुलवारी में खिलता सदा बहार सफ़ेद
नवरंग में सजा अभेद
धरा पर इधर से उधर तन जाता है
दूब घांस का हरा गलीचा बन जाता है
पत्तों पर पसरी ओस
मोती बन मुस्काती है
कहीं चिड़िया चहचहती है
कोयल कूक सुनाती है
भ्रमर गूंजते हुए नज़र आते हैं
पक्षी गण कलरव कर अघाते हैं
इसे ही ऋषि मुनियों ने जाना है
प्रकृति की छटा को पहचाना  है
 उसी से  सीख कर
मस्त हो जाता है अंग
चेहरे पर रहती है उमंग
बेटा सुनते सुनते सो गया
मैं एक अलग ही दुनिया में खो गया

याद कर बीते कल का बवाल
स्वयं से करने लगा सवाल
हमारे देश में
अलग अलग प्रदेश में
आतंक के नाम पर
अबीर के बदले
 रेल की पटरी किसने उड़वाई ?
हमारे रक्षकों ने अपनी जान
अपने ही भाइयों से क्यों  गावाई?
पिचकारी में रंग के बदले
बन्दूक पिस्तौल से क्यूँ गोली आई ?
क्या यह होली कर सकेगा भरपाई ?
अगर बेटा यही सवाल लेकर आता
तो मैं उसे कैसे समझाता ?
ऐसे पावन पर्व को  राजनीतिक पंडों से बचाइए
 ईश्वर की हम अनुपम वरदान हैं
वसंत ऋतू स्वयं इसका प्रमाण है
होली महान है
धर्म जाति वर्ग भूलकर
मानव धर्म में आईये
परोपकार का रंग
अपनापन की अबीर
राष्ट्रीय त्यौहार में लगाइए
ऐसे होली मनाईये !!!!



 

होली आई है

होली आई है


कोयल कूंके अमराई में 
 
मन नहीं लगे तन्हाई में
 
राधा नाचे  अंगनाई  में 
 
तब समझो होली आई है 
 
 
जब आँख शर्म से झुक जाए 
 
कुछ कहती कहती रुक  जाए 
 
साली जीजा पर लुट जाये
 
तब समझो होली आई है 
 
 
अल्हड़  सी भरी जवानी हो 
 
जब प्रियतम की मनमानी हो 
 
हर एक अदा मस्तानी हो 
 
तब समझो होली आई है 
 
 
गालों पर लाली छा जाये 
 
आँखों का काजल भा जाये 
 
केशों में उंगली समा जाये 
 
तब समझो होली आई है 
 
 
अंग अंग जब फड़क उठे 
 
बिना पिए मन तड़क उठे 
 
रह रह कर जी चहक उठे
 
तब समझो होली आई है ...
 
 
 
 
 
 

कंप्यूटरी प्रेम - होली के रंग में

  कंप्यूटरी प्रेम - होली के रंग में
 
होली के शुभ अवसर पर

प्रेमी मुस्कुराता हुआ

मन  ही मन गुनगुनाता हुआ

रंग से पिचकारी भरे

प्रेमिका को आते देख

अपने प्रेम का इज़हार किया

 तुम मेरी हो

सिर्फ मेरी हो

होली के शुभ अवसर पर मेरे जीवन में

ई- मेल की तरह  आई हो

और अब रंग से ओत प्रोत हो

इन्टरनेट की तरह छाई हो

मेरे दिल की फ्लॉपी में

विशेष मैटर की तरह समाई हो

बिना रंग लगाए न चैन है न आराम

तुम्हे रंग लगाये बिना नहीं कर पाउँगा कोई काम

मेरे मन  की मेमोरी में

किसी और का नाम नहीं है

और आजकल इस शरीर का की-बोर्ड

कर रहा कोई काम नहीं है

मेरी आँखों के मॉनिटर पर

सिर्फ तुम्हारी ही तस्वीर दिखाई देती है

जो हटती नहीं है

मेरे जीवन की वेबसाइट

डब्लू डब्लू डब्लू होली प्यार डॉट कौम

के वगैर खुलती नहीं है

डरता हूँ इस वर्ष की होली में

मेरे प्यार के रंग में

किसी वायरस का असर न हो

तुम्हारे दिल में किसी और का बसर न हो

सावधान रहना

रंग लगाना

पर किसी कनेक्शन की तरह

मत बदल जाना

मैं तो सॉफ्टवेर हूँ

तुम हार्डवेयर में मत ढल जाना

मेरे प्यार के रंग में रंग जाना

जम  कर होली मानना ...
 

Thursday, 28 March 2013

नारी की अस्मिता

नारी की अस्मिता 


राजधानी में घटी
बलात्कार की छौंक से
देश क सभी शहरों से
खांसने की आवाज
दूर दूर तक जाती है
जोरो का शोर
नारेबजियाँ
'बलात्कारी को फांसी दो'
हर एक और से आती है।

दिन बीतें
घाव अभी भरे भी नहीं
दिखने लगे दुष्परिणाम
कसने की छोड़
ढीली पड़  गई लगाम।

समाचार की सुर्खिओं में
प्रत्येक चैनल पर
नारियों के साथ छेड़खानी
बलात्कार की घटनाएँ
प्राथमिकता देकर दिखाई जाती है
नारियों की अस्मिता खतरे में
सुनाई जाती है।

क्या इसी से होगा समाधान
कहाँ निकला प्रावधान
मनोवृति बदले
संस्कार जगाएँ
व्यर्थ न चिल्लाएँ
नारी को उपहास का पात्र न बनाएँ।

 

Monday, 25 March 2013

आजादी के बाद

आजादी के बाद 


 मेरे मित्र ने मुझसे पूछा
आजादी के बाद
अपने राष्ट्र में क्या मिला है
आजादी के बाद
मिली है हमें
आदर्श रहित  शिक्षा प्रणाली
बेरोजगारी की सौगात
तबाह होती खेती
उद्योग में छंटनी
भाई- भतीजावाद 
टिड्डियों की तरह फैलता 
जातिवाद
नीचे से उपर तक भ्रष्टाचार
दिन प्रतिदिन बढती महँगाई
चतुर्दिक असुरक्षा
आतंकवादियों का कहर
बलात्कार की भरमार
निकम्मी सरकार
बिखरता गणतंत्र
दबंगों लूटेरों पागलों के हांथो में तंत्र
आजादी शब्द कहना झुठलाता है
शहीदों की बलिदानी
स्वतंत्रता सेनानियों की भागीदारी
आज टूटता बिखरता
नजर आता है।  

प्रतिरोध की जमीन

प्रतिरोध की जमीन 


कविता में जुड़ गए हैं
कई नए अध्याय
छंद के बंधन खुलने पर
आरम्भ हुआ
कविता का एक नया प्रस्थान
विचार के बंधन खुलने पर
कविता का हुआ हैं
एक नया प्रस्थान
जनता के संघर्ष में
सच्चाई का मेल होने पर
जन्मती है कविता
कविता असीम तक फ़ैल गयी है
कविताओं की प्रभा से
कविता का आनन  मंडित है
कविता की
बहुरंगी इन्द्रधनुषी छठा देखकर
कवि तैयार कर रहे हैं
प्रतिरोध की जमीन
कविता के जरिए
एक सार्थक हस्तछेप है
पूंजी की भूमंडलीकरण
नव उदारवाद और निजीकरण
के दौर में
कवि का .   

Sunday, 24 March 2013

खुशियाँ बटोरें

खुशियाँ बटोरें 


 
बहुत मिले 
बीते वर्ष में शब्द के चिटोरे 
नव वर्ष में शब्द के गुंथे 
कविता के नांव पर चढ़कर 
खुशियाँ बटोरें 
 
आन्तरिक परिपूर्णता के लिए 
प्रयासरत मानवीय जीवन में 
खुशियों के खजाने खोजें 
हमारे अस्तित्व की गुत्थी सुलझेगी
अमनुर्षिक प्रवृतियों को छोडें 
नव वर्ष में खुशियाँ बटोरें

परस्पर व्यवहार में 
विचलित करने वाले
सायास या अनायास निकले शब्द 
सम्प्रेषण की अयोग्यता को
दुःख के चिन्ह न मान कर 
संबंधो के पिटारे में सहेज कर रखें  
भविष्य में स्नेह की धारा फूटेगी 
शब्दों के शिल्पकार से नाता न तोड़े 
खुशियाँ बटोरें
 
कविता कहानी उपन्यास को 
शब्दों के मकडजाल के रूप में न देखकर 
एक खास किस्म के 
सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक प्रवृतियों के 
बीज समय के रूप में देखें 
साहित्यिक काल खण्ड समझकर
इसे न छोड़े  
खुशियाँ बटोरें.

 

Saturday, 23 March 2013

नव वर्ष में जय हो

 नव वर्ष में जय हो 

 
 
दीपशिखा से
 
देदीप्यमान
  
और अब
 
दिव्य मशाल बनते जा रहे हैं हम 
 
एक लम्बा अर्सा  गुजर गया 
 
हमारे कर्मो का गंगा रूपी जल 
 
अपरिमित मात्र में 
 
जन कल्याण करता हुआ 
 
सागर  में जा मिला हैं 
 
सद्चार से जुडी जीवात्मा का 
 
न आदि हैं न अंत 
 
नव वर्ष में प्रभु से हैं प्रार्थना 
 
सृष्टी के प्रत्येक श्रेयस्कर काम में रहें कर्ताव्यवान 
 
राष्ट्रीयता और संस्कार 
 
सर्वदा रहे विधमान 
 
सम्पादित  कार्य 
 
नित्य नूतन अमरत्व की  सृष्टी करती रहे
 
आपके हर दुःख  दर्द  कष्ट  क्लेश को हटाकर 
 
सुख  समृद्धि  हर्ष उत्कर्ष
 
जीवन में भरती  रहे 
 
आपकी जय हो
 
नव वर्ष मंगलमय हो .

शुभ कामनाएं


मानव में  पनपती यौन पशुता

फैलती  चतुर्दिक  मडराती कामुक  दृष्टि

नारियों  की  छटपटाती जीजिविषा

 घटती विभत्स घटनाएं

रोकने हेतु

कलम उठाएं

होली त्यौहार के नव वर्ष में नया  आवाम जगायें

उन्हें कभी न छोडें

जम  कर मरोडें

तब अबीर गुलाल लगायें

तभी साकार होगी नव वर्ष की शुभकामनाएं