Tuesday, 11 August 2020

एक दूसरे पर

प्यार
लगाव
अपनापन
बढ़ता जाता है
किसी और के खातिर
कुछ न कुछ
करने की ललक
सीमा लाँघकर भी
अपना होंने के कारण
उसे अपना समझने के कारण
विश्वास था मुझे
और उसे भी
एक दूसरे पर
फिर
दुराग्रह क्यों
अविश्वास क्यों
एक ही झटके में
सब का सब
चूर चूर
क्या इसकी कड़ी
इतनी कमजोर
सत्यता जानने हेतु
दिल और दिमाग पर
अगर लगाते जोर
सामने दीख पड़ता
अविश्वास का बना हुआ
पहाड़
स्वयं पर 
अपनी सोच पर
आस्था
विश्वास 
करना ही होगा
अपना अगर झूठ भी
कभी कभार बोल दे
तो उसने छिपी होती है
भलाई
हित
उसी की खातिर
जिसे चाहा है
माना है
हृदय से
सच्चे मन से
अपना मानकर
सबकुछ तुम्ही हो
यही जानकर !
     ★★★
©  °#कामेश्वर_निरंकुश

जीवन

 जीवन में शुन्यता या
शुन्यता में जीवन
उड़ान भरता
वायुयान
जमीन छोड़
विस्तृत आकाश में
तेज रफ्तार से
गंतव्य तक
पहुँचाने में
बादलों को चीरते हुए
ऊपर जाने पर
हुआ अहसास
शुन्यता का
कहीं कुछ भी नहीं
केवल बादलों का समूह
अलग अलग आकार में
नदी पहाड़ जंगल
पक्षी कहीं भी नहीं
कोई भी जीव नही
आँखों के सामने
तैरता अमंगल
शुन्य शुन्यता
फ़ैल गया
जीवन का क्या मोल
कौन सकेगा तौल।
     ★★★
©   #कामेश्वर_निरंकुश

Monday, 10 August 2020

जय श्री राम

आज हम
आओ करें शुरुआत
कहकर राम राम जी।

वर्षों से मन में चाह रही
कब होगा मंदिर निर्माण
अयोध्या में राम बिराजेंगे
टेंट में कबतक रहेंगे राम
यही आस कल पूर्ण हुआ
कहकर राम राम जी।

जय श्री राम से भारत गूंजा
रामलला की हो गई पूजा
तम्बू से बाहर आएंगे
मन्दिर में वे दिख पाएंगे
सभी भजन कीर्तन कर गायेंगे
कहकर राम राम जी।

कल ही वह खुशी लेकर
सुन्दर दिन आया
नव राम मंदिर निर्माण का
भूमि पूजन हो पाया
सभी मिलकर खुशी मनाया
कहकर राम राम जी।

हम में तुम में सब में राम
हर जगह ही बिराजे राम
राम की महिमा जग जाने राम
आगे जीवन की हम सुधारें
कहकर राम राम जी।
             *****
       
   
   

चाहत



बनी रहे
यह रूप
यह लावण्य
यह आकर्शन 
यह सुंदरता
खिलती रहे 
यह जवानी
बढ़ती रहे
यह नादानी
देखता रहूं
सुनहरे लहराते
ये केश
भाता रहे
पीले रंग का
कानों पर झूलता
यह चमकता
लटकता कनबाली
और गॉगल्स भी
नहीं सम्भाल पा रहा
आंखों के खूबसूरती को
छिपाना तभी तो
चढ़ गया है
चिपक कर गेसुओं पर
सचमुच तुम अप्सरा हो
देखकर 
कौन नहीं चाहे
तेरे सुर्ख लाल
होठ को चूमना
मखमली गुलाबी गाल 
सहलाना
तुम्हारी मस्त
मजेदार देह तक
तुम्हारे करीब आना
तुम पर सबकुछ
लुटाना
तुम्हें देखकर
अपना सर्वस्व लुटाना
तुम क्या नहीं हो
तुम बहुत कुछ हो
जाे न कोई शायद
कह पायेगा
सचमुच
निःश्ब्द हो जायेगा
मेरी सबकुछ...!
   ***

राम_मन्दिर



भूमि पूजन
होते देखकर
प्रेम भक्ति से सबकी
आंखे बरस पड़ी
राममय हो गया सम्पूर्ण भारत
रोम रोम में राम समाए
* सियाराम मय * सब जग गाए
मन्दिर की भव्यता
तुलसी के राम की दिव्यता
आदर्श राम का चरित्र
दिव्यता और अनुपम पवित्र स्थल
साकार करने हेतु
भुवनेश्वर जगन्नाथ पुरी से 
आए हैं वी. स्वार्थ पारथी
राम मन्दिर का पूरा खाका लिए
भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न के लिए 
चांदी का सुन्दर सिंहासन
गर्भगृह और कलश स्वर्ण का
राम मन्दिर में पांच मण्डप
161 फुट ऊंचा शिखर
98 फूट तीन इंच 
मन्दिर का शिखर
2012 स्तम्भ
235 फूट प् परिक्रमा पथ
57, 000 वर्ग फुट क्षेत्रफल
कुल शिखर होंगे छह
एक मुख्य और पांच उप शिखर
अद्भुत होगा यह यह
अयोध्या पुरी।
           *****
  © #कामेश्वर_निरंकुश

अयोध्या

#

घर हो या बाहर
मठ मंदिर का प्रागंण हो
या फिर सरयू का तट
हर जगह पूरी रात
चहल पहल
5 अगस्त 2020
मंगलवार की रात 
जगी रही अयोध्या
जाे बिस्तर पर थे
करवटें बदलते रहे
जाे मंदिर में थे
राम नाम जपते रहे
पौ फटते ही रिमझिम
फुहारों का स्वागत
सूर्य का प्रकाश 
धरा और कल कल बहती 
सरयू की धारा पर पड़ते ही
राम मन्दिर निर्माण की
492 वर्ष तक चली 
संघर्ष गाथा का
हो गया अंत
प्रफुल्लित हुआ
दसों दिशाएं दिग दिगंत 
36 आध्यात्मिक 
परम्पराओं के पीठाधीश्वर
ध्वज पताकाओं से सजी
उत्साह और राम नाम
के उद्घोष के साथ
राम जन्मभूमि परिसर
जीवन्त हो उठी
त्रेतायुग की
ऋषिकुल परम्परा दिखी
धन्य हो गई 
भगवान राम की नगरी 
अयोध्या।
              ****
    ©#कामेश्वर_निरंकुश

जय_श्री_राम_जय_जय_राम



सबके हैं राम सब में हैं राम
घट घट के बासी हैं श्रीराम।
सिया राममय सब जग जानी
सबके पूर्ण होंगे सब काम।।

492  वर्ष  तक  हुए  संघर्ष 
का,  आज  हो  रहा  है अंत।
दसो  दिशाएं  झूम  उठी  हैं
हर्षित  हुआ है  दिग  दिगंत।

हुआ था युद्ध 76 बार ,
लाखों श्रद्धालुओं का बलिदान।
तब आन्दोलन  हुईं  पूर्ण
श्री राम भक्ति का है परिणाम।

मन्दिर के चले आन्दोलन में
अर्पण भी था  तर्पण भी था।
बलिदान और संकल्प के साथ
संघर्ष, त्याग, समर्पण भी था।

वर्षों से टाट और टेंट तले  
रह  रहे थे हमारे   राम लला।
सदियों चल रहे व्यतिक्रम से
रामजन्म भूमि मुक्त हुई भला।

रामकोट में हुआ भूमि पूजन
जहां बिराजमान थे रामलला।
अभिजीत मुहूर्त में मंदिर की
रखी  गई वहां आधार शिला ।

अयोध्या  में  भूमि  पूजन से
नए  युग  की  हुईं  शुरुआत।
जहां बिराजमान थे रामलला
अब जाकर वह हुआ समाप्त।

प्रधान मंत्री की अगवानी में
कल जाकर हुआ हर्ष उत्कर्ष।
जय  श्री  राम  जय  जय  राम
जयघोष से गूंजा अयोध्या सहर्ष।।
                 *****
       #कामेश्वर_निरंकुश

Sunday, 9 August 2020

नहीं भूल सकता

नहीं भूल सकता

ये खिलखिलाती हंसी
चेहरे पर खुशी
खुले हुए केश
मदमस्त सौन्दर्य
आंखों की गहराई
गुलाबी गाल
चूड़ियों की खनक
हर अंग में उमंग
खिली हुई जवानी
मेरे हर आयोजन की दिवानी
हृदय की विशाल
हर वक्त जाे रखे खयाल
सच कहता हूं
उसे कभी नहीं
भूल सकता।
      ***