दिन भर की चुभती गर्मी
चिलचिलाती धूप
कहर बरसाती तपिश में
राहत की बूंदे पड़ी
चुलबुली बंद दरवाजे खोल
घर से निकली
हल्की वारिस से
तपती शाम में ठंढक घुली
फ़िज़ा भी बदली
निग़ाहें चाहती थी
तपती बहती हवा में भी
चुलबुली
संगमरमरी
जानेमन को देखना
देखते ही मिलती है
शांति
तरावट
राहत
वशर्ते कि
वह प्रेमिका हो
प्रेयसी हो
प्यारी हो
न्यारी हो ।