दीपशिखा से
देदीप्यमान
और अब
दिव्य मशाल
बनते जा रहे हैं
हम
एक लंबा अर्सा
गुजर गया
हमारे कर्मों का
गंगा रूपी जल
अपरिमित मात्रा में
जन कल्याण
करता हुआ
सागर में जा मिला है
सदाचार से जुडी
जीवात्मा का
न आदि है न अंत
प्रभु से है प्रार्थना
सृष्टी के प्रत्येक
श्रेयस्कर काम में रहें
कर्तव्यवान
राष्ट्रीयता
संस्कार
सर्वदा रहे
विद्यमान
सम्पादित कार्य
नित्य नूतन
अमरत्व की सृष्टी
करता रहे
सुख समृद्धि
हर्ष उत्कर्ष
जीवन में
भरता रहे।
*****
@ # कामेश्वर निरंकुश।
देदीप्यमान
और अब
दिव्य मशाल
बनते जा रहे हैं
हम
एक लंबा अर्सा
गुजर गया
हमारे कर्मों का
गंगा रूपी जल
अपरिमित मात्रा में
जन कल्याण
करता हुआ
सागर में जा मिला है
सदाचार से जुडी
जीवात्मा का
न आदि है न अंत
प्रभु से है प्रार्थना
सृष्टी के प्रत्येक
श्रेयस्कर काम में रहें
कर्तव्यवान
राष्ट्रीयता
संस्कार
सर्वदा रहे
विद्यमान
सम्पादित कार्य
नित्य नूतन
अमरत्व की सृष्टी
करता रहे
सुख समृद्धि
हर्ष उत्कर्ष
जीवन में
भरता रहे।
*****
@ # कामेश्वर निरंकुश।
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