अंतर्निहित है प्रेम में
आखर आखर चाह
प्रेम का दुर्गम है राह
प्रेम में नही होता अपवाद
प्रेम का अनहद नाद
प्रेम एक शब्द
एक अनुभूति
एक जीवन
एक धड़कन
एक प्रतीक्षा
एक राग
एक सुबह
एक धुन
एक उड़ान
एक यात्रा
एक संसार
एक अंतर्भाव
एक तड़प
एक प्यास
एक आश
एक पुकार
एक चेहरा
एक बोल
एक याद
कितना अपार
कितना अपरुप
व्यास है
प्रेम के वृत्त का
बंधता ही नहीं भाषा में
जीवन में ही
कहाँ बंध पाता है प्रेम
प्रेम के हवा में कोई राग है
प्रेम में आग है।
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---- कामेश्वर निरंकुश