सूरज के आगमन से
किसी भी ऋतू में
अलसाई आँखों से झरती है
दिन भर की मुस्कराहट
प्रकृति हो जाती है सुहावन
दृश्य लगता है मनभावन
मौसम के आगमन से
बृक्ष संवरते हैं
हरसिंगार के फूल झड़ते हैं
चाँद के आते ही भाग जाता है अँधेरा
शरद ऋतू के आगमन से
पेड़ों के पत्तों में
दिखता है हरापन
गमक जाता है जंगल
झरनो से बहता है
झर- झर कर दुधिया जल
थिरकने लगते हैं पॉँव
मांदर की थाप पर
आकर्षित होते हैं वनवासी
और जुट जाते हैं
नाचते गाते
हंसी ख़ुशी के साथ
पर्यटन स्थल पर ।
-0-
किसी भी ऋतू में
अलसाई आँखों से झरती है
दिन भर की मुस्कराहट
प्रकृति हो जाती है सुहावन
दृश्य लगता है मनभावन
मौसम के आगमन से
बृक्ष संवरते हैं
हरसिंगार के फूल झड़ते हैं
चाँद के आते ही भाग जाता है अँधेरा
शरद ऋतू के आगमन से
पेड़ों के पत्तों में
दिखता है हरापन
गमक जाता है जंगल
झरनो से बहता है
झर- झर कर दुधिया जल
थिरकने लगते हैं पॉँव
मांदर की थाप पर
आकर्षित होते हैं वनवासी
और जुट जाते हैं
नाचते गाते
हंसी ख़ुशी के साथ
पर्यटन स्थल पर ।
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