तुम सुबह की अलमस्त नींद
मुर्गे की बांग
कलेवा का भात
शाम की चाय
और रातों की
लोरियों की तरह हो।
मुर्गे की बांग
कलेवा का भात
शाम की चाय
और रातों की
लोरियों की तरह हो।
तुम चिड़ियों का कलरव
बच्चों की किलकारी
प्रतीक्षित मेहमान
कौवे की टेर
और छत पर
पसरी चाँदनी की तरह हो।
बच्चों की किलकारी
प्रतीक्षित मेहमान
कौवे की टेर
और छत पर
पसरी चाँदनी की तरह हो।
तुम मिलने से पहले ही
बिछुड़ने की छटपटाहट
बरसों का टूटता नेहबन्ध
अपने आगोश में लेने का आतुर
दशम जलप्रपात की
दहशत करती गूँज
और सखुए के जंगल से आती
जानी पहचानी
आवाज की तरह हो।
बिछुड़ने की छटपटाहट
बरसों का टूटता नेहबन्ध
अपने आगोश में लेने का आतुर
दशम जलप्रपात की
दहशत करती गूँज
और सखुए के जंगल से आती
जानी पहचानी
आवाज की तरह हो।
तुम साँझ को जंगल से लौटते
जानवरो के ठरकी की आवाज हो
हाँ हाँ तुम
मुझमे उर्जा भरते
उर्जा श्रोत हो।
-0-
जानवरो के ठरकी की आवाज हो
हाँ हाँ तुम
मुझमे उर्जा भरते
उर्जा श्रोत हो।
-0-
No comments:
Post a Comment