प्रतिरोध की जमीन
कविता में जुड़ गए हैं
कई नए अध्याय
छंद के बंधन खुलने पर
आरम्भ हुआ
कविता का एक नया प्रस्थान
विचार के बंधन खुलने पर
कविता का हुआ हैं
एक नया प्रस्थान
जनता के संघर्ष में
सच्चाई का मेल होने पर
जन्मती है कविता
कविता असीम तक फ़ैल गयी है
कविताओं की प्रभा से
कविता का आनन मंडित है
कविता की
बहुरंगी इन्द्रधनुषी छठा देखकर
कवि तैयार कर रहे हैं
प्रतिरोध की जमीन
कविता के जरिए
एक सार्थक हस्तछेप है
पूंजी की भूमंडलीकरण
नव उदारवाद और निजीकरण
के दौर में
कवि का .
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