Monday, 9 November 2015

काला अध्याय

अंकित हो गया
काले अध्याय का इतिहास
हमारे देश का
सबसे शर्मनाक दिन
चौबीस नवम्बर दो हजार सात
आदिवासियों के खून के छींटे
नंगी औरतों का चीत्कार
हिंसा पर उतारु
बर्बर नृशंस जनसंहार
निहत्थे, दमित, शोषित
आदिवासियों पर कहर
दारुण दुःख भोगती
व्याकुल भागती
छटपटाती, घबराती, कराहती औरतें
मानो ठहर गया था प्रहर
अपना हक, अधिकार और पहचान
ओझल होता देख सब हैं परेशान
असम के दिसपुर की सड़क पर
वहशियाना आखेट
मानवता के लिए जघन्य कुकृत्य
दानवता का नग्न नृत्य
पैशाची प्रवृति
नारियों की दुर्गति
बीच शहर में
विधानसभा से कुछ ही कदमों की दूरी
औरतों की बेरहमी का नंगा खेल
बच्चों की हत्या
नहीं समझे मजबूरी
अभी असम की बारी है
यह सम्भावना है
कल झारखण्ड की
अपनी अस्मिता बचानेवाली
खंड की बारी है।
आज राजनीति में
ऐसा भी खुला तंत्र है
प्रश्न उठता है 
उठेगा और उठता रहेगा
क्या यह लोकतंत्र है ?
यदि है तो
यह कैसा लोकतंत्र है ?
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