सूरज के दस्तक से
शरद ऋतु में
अलसाई आँखों में
झरती है
दिन भर की मुस्कराहट।
शरद ऋतु में
अलसाई आँखों में
झरती है
दिन भर की मुस्कराहट।
मौसम के दस्तक से
वृक्ष संवरते हैं
चाँद की दस्तक से
भाग जाता है अँधेरा।
वृक्ष संवरते हैं
चाँद की दस्तक से
भाग जाता है अँधेरा।
शरद ऋतु के दस्तक से
पेड़ों के पत्तों में
दिखता है हरापन
महक जाता है जंगल
झरनों से बहता है
झर-झर कर दुधिया जल
थिरकने लगते हैं पांव
मांदर की थाप पर
आकर्षित करता है
सबों को
नृत्य और संगीत के लिए
अपने पारम्परिक वाद्य यंत्रों के साथ
और जुट जाते हैं
लोग
पर्यटन स्थल पर।
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पेड़ों के पत्तों में
दिखता है हरापन
महक जाता है जंगल
झरनों से बहता है
झर-झर कर दुधिया जल
थिरकने लगते हैं पांव
मांदर की थाप पर
आकर्षित करता है
सबों को
नृत्य और संगीत के लिए
अपने पारम्परिक वाद्य यंत्रों के साथ
और जुट जाते हैं
लोग
पर्यटन स्थल पर।
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