Saturday, 7 January 2017

अभिनन्दन



नव  वर्ष  का  अभिनन्दन !

सब  विषयों का ज्ञान मिले,
हर मानव को विज्ञान मिले,
परिसर  में अभिज्ञान  मिले,
सुख-दुःख में हम गले मिलें,
ओत-प्रोत उर्जा लेकर अब
यहाँ बहती रहे सुखद पवन!

अनबन  कभी  न हो मन में,
खिलें  फूल  हर  उपवन  में,
रोग   पीड़ा  न  रहे   तन  में,
बहे   प्रेमरस   जन - जन में,
सुख वैभव घर  घर में पनपे
हर  कोई  मंच  में रहे प्रसन्न!

पण्डित  जी   की  पंडिताई,
मौलवी   जी   की  अगुवाई,
पादरी जी  की सच्ची वाणी,
गुरुवर जी  की अमृत वाणी,
सभी धर्मों की गाथा सुनकर
रचें साहित्य का अनुपम धन!

कर्मबोध  गीता   सिखलाती,
सेवा भावना  बाइबल लाती,
पाक हो  जीवन  कहे कुरान,
ग्रन्थ साहिब ग्रन्थों में महान,
सभी  धर्म  ग्रन्थों को पढ़कर
हम  सीखे सीख  करें जतन!

हर मानव  में मानवता  जागे,
गलत  भावना  मन  से  भागे,
राष्ट्रप्रेम  जन - जन  में  लागे,
शांन्ति - प्रेम सब प्रभु से मांगे
मंच  की गरिमा  सर्वोपरि कर
गाएँ 'जन गण  मन' सब  जन!
               *****
        @  #  कामेश्वर निरंकुश

युवा आह्वान



देखते ही देखते एक वर्ष कट गया।
मिली हुई आयु से एक वर्ष घट गया।।
वर्ष के व्यतीत होते
कुछ करने की
नया इतिहास गढ़ने की
युवा आह्वान की शुरुआत
युवा वर्ग के सब आयामों को
कुछ करने की प्रतिज्ञा को
गुमराह के गम से निकलकर
स्वावलम्बन
दिशाहीनता से आगे बढ़कर
युवाओं के दर्द को
टीस को तड़प को
आह को
चिंतन करते हुए
संकल्पित हो
युवा शक्ति के साथ
ऊँची उड़ान भरने का
सुअवसर प्रदान करें
महाजगरण लाने हेतु
आइये
संकल्प लें
स्वतः
युवा शौर्य चमकेगा
कालाधन
काला बाजार से निकलकर
प्रकाशदीप होगा
प्रज्ज्वलित
एक नए आदर्श के साथ
नैतिकता पनपेगी
राजनीति में नया मोड़ से
शारीरिक सौंदर्य ही नही
आंतरिक ऊर्जा बढ़ेगी
भटकन का होगा नाश
युवा भाग्य विधाता हैं
युवा ही समाज की रीढ़ हैं
सकल समाज जानेगा
असमानता
भ्र्ष्टाचार
अनैतिकता
दूर होकर
सकल विडम्बनाओं
उपेक्षाओं पर
लगायेगा अंकुश
युवा आह्वान महान है
यह कह रहा निरंकुश।
        *****
         --- कामेश्वर निरंकुश।

नारी



नारी की अस्मिता
नारी सशक्तिकरण
नारी की महानता
सकारात्मक भी नकारात्मक भी
नारी
महान
सर्वशक्तिमान
कागज पर उकेरना है आसान
नारी की दिशा
नारी की दशा
देखना
दिखलाना
कहना
समझना
नई  बात नहीं
यहाँ वहाँ
जहाँ तहाँ
अपनी अस्मिता
दिखलाने के लिए
नारी नारी
चिल्लाने के लिए
देवियों
दुर्गा
काली
सरस्वती
की तुलना कर
कब तक मन
बहलायेंगे
समाज में घट रही
घृणित घटनाओं का
निकलता परिणाम
साफ साफ दर्शाता है
नारी की
स्थिति को
परिस्थिति को
दुर्गति को
लेखनी
उकेरेगी
कबतक
नारेबाजियां
कबतक
देखते आए हैं
तब से अब तक
जब से सृष्टि हुई
तभी से
अनवरत
अबतक ?
             *****
      #  कामेश्वर निरंकुश।

मित्रता



अनन्त
अनवरत
आकाश में
विचरना
असम्भव
यह ज्ञात है
मुझे।
मित्रता
सुख दुःख
लाभ हानि
नहीं देखता।
वह देखता है
निष्ठा
अपनापन
लगाव
और
यह प्रदान करता है
अतुलित बल।
बनाता है
ऊर्जावान
सृजित होता है
काव्य,
लिख देता है
कहानी,
उपन्यास,
निबंन्ध
नाटक।
धीरे - धीरे
साहित्य
परिष्कृत करता है
मन के विकार को
और देता है
नया आकार।
समाज को
दर्शाता है
नई दिशा,
नया पथ
उपजता है
राष्ट्र प्रेम
और
एकजुट हो जाता है
युवा वर्ग।
राष्ट्रीय भावना
जागृत कर
करता है
आह्वान
महा आह्वान
नया इतिहास
गढ़ने हेतु।
       *****
    # कामेश्वर निरंकुश।

प्रेम



प्रत्येक व्यक्ति की
निर्धारित है नियति
उसे मिलती है
प्रकृति की भी
निराली होती छटा
मरुस्थल
रेत ही रेत
नदियां
जल ही जल
मन होता है विह्वल
कहीं धूुप कहीं छाँव
कौन जाने कहाँ  है
किसका ठांव
कभी अंधकार
कभी उजाला
कहीं खारा जल
कहीं निर्मल गंगाजल
एक समय ऐसा आता है
जहाँ फर्क नहीं दिखता
दुःख और सुख का
तब होता है ज्ञात
प्रेम क्या यही है
प्रेम समझना आसान है
 प्रेमी के लिए
बहुत मुश्किल
दुरुह कष्टप्रद
आज के माहौल में।
     #  कामेश्वर निरंकुश।

नववर्ष



गुनगुनी धूप, तब अच्छी लगती है
जब होता है अहसास
बीती हुई प्रचण्ड गर्मी की तपिश में
झुलसाती धूप का
दिसम्बर की ठंढ टीस उगाती है
हम सहते हैं, आशा में
आनेवाली सुखद फागुनी ठंढ की
यह नियति का विधान
आता है जाता है
और बीत जाता है एक वर्ष
बोया गया सुकर्म बीज
नववर्ष में अंकुरित होकर
पनपेगा
फूलेगा
फलेगा
हर्ष और उमंग लाएगा
बोया गया कुकर्म
अलगाववाद लाएगा
भ्र्ष्टाचार बढ़ाएगा
सांप्रदायिकता फैलाएगा
अब भी हम चेतें
जानें
समझें
तीन छः के फेर में पाँच न गवाएँ
प्रभु से मनाएँ
आनेवाला हर दिन कल्याणकारी हो
मानव हितकारी हो
सुख-समृद्धि का परिचालक हो
कर्त्ता नहीं कारक हो
हर दिन
हर पल
हर क्षण की जय हो
नववर्ष मंगलमय हो।
            *****
                # कामेश्वर निरंकुश।

नव वर्ष की जय हो



दीपशिखा से
देदीप्यमान
और अब
दिव्य मशाल बनते जा रहे हैं हम
एक लम्बा अर्सा गुजर गया
हमारे कर्मों का गंगारूपी जल
अपरिमित मात्रा में
जन कल्याण करता हुआ
सागर में जा मिला है
सदाचार से जुडी जीवात्मा का
न आदि है न अंत
नववर्ष में प्रभु से है प्रार्थना
सृष्टि के प्रत्येक श्रेयस्कर काम में
रहे कर्तव्यवान
राष्ट्रीयता और संस्कार
सर्वदा रहे विद्यमान
सम्पादित कार्य
नित्य नूतन अमरत्व  की
सृष्टी करता रहे
आपके हर दुःख दर्द क्लेश को हटाकर
सुख समृद्धि
हर्ष उत्कर्ष
जीवन में भरता रहे
आपकी जय हो
नव वर्ष मंगलमय हो।
                  *****
 कॉपी राइट                   # कामेश्वर निरंकुश।

अभिनन्दन



नव  वर्ष  का  अभिनन्दन !

सब  विषयों का ज्ञान मिले,
हर मानव को विज्ञान मिले,
परिसर  में अभिज्ञान  मिले,
सुख-दुःख में हम गले मिलें,
ओत-प्रोत उर्जा लेकर अब
यहाँ बहती रहे सुखद पवन!

अनबन  कभी  न हो मन में,
खिलें  फूल  हर  उपवन  में,
रोग   पीड़ा  न  रहे   तन  में,
बहे   प्रेमरस   जन - जन में,
सुख वैभव घर  घर में पनपे
हर  कोई  मंच  में रहे प्रसन्न!

पण्डित  जी   की  पंडिताई,
मौलवी   जी   की  अगुवाई,
पादरी जी  की सच्ची वाणी,
गुरुवर जी  की अमृत वाणी,
सभी धर्मों की गाथा सुनकर
रचें साहित्य का अनुपम धन!

कर्मबोध  गीता   सिखलाती,
सेवा भावना  बाइबल लाती,
पाक हो  जीवन  कहे कुरान,
ग्रन्थ साहिब ग्रन्थों में महान,
सभी  धर्म  ग्रन्थों को पढ़कर
हम  सीखे सीख  करें जतन!

हर मानव  में मानवता  जागे,
गलत  भावना  मन  से  भागे,
राष्ट्रप्रेम  जन - जन  में  लागे,
शांन्ति - प्रेम सब प्रभु से मांगे
मंच  की गरिमा  सर्वोपरि कर
गाएँ 'जन गण  मन' सब  जन!
               *****
        @  #  कामेश्वर निरंकुश