निरंकुश साहित्य

Sunday, 4 July 2021

अनलॉक 2

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 अनलॉक 2 फूलों की नगरी बैंगलोर आज से गुलजार लोगों के चहरे पर मुस्कान जन जीवन हुआ सामान्य पूरे राज्य में शाम सात बजे से सुबह पाँच बजे तक रात्...

समाचारपत्र

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  सबकी मनोभावनाओं आकांक्षाओं और इच्छाओं के अनुकूल हर पाठक के हृदय में बनाता है स्थान समाचारपत्र ! कागज का यह पन्ना हर दिल से धड़कता हुआ सूक्ष...

सुकून_के_प्रयास

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कोरोना काल का एक साल दो जनों की मिहनत रंग लाई कर दी हरियाली बेमिसाल राजाराम और जयराम  की जोड़ी  सबकी कोरोना की चिंता तोड़ी बदल दी एक साल में स...

डेल्टा_और_डेल्टा_प्लस

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 # वैक्सीन लेने और सुझाए गए निदेशों से लगातार हमारी और कोरोना की  भीषण जंग है जारी दूसरी लहर में रोक दी है हमने महामारी खीज कर उसने वायरस का...

कोरोना_सम्बन्धित_सवाल

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 # आज कोरोना काल की  सम्पूर्ण जानकारी सरकारी सेवा के लिए  बन गई जरूरी हर जगह छाया  कोरोना का मलाल कोरोना कहर से बुरा था हाल राजस्थान लोक सेव...

खुशी_की_लहर

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  खुशी की लहर जीवंत दिख रहा शहर गावों में हरियाली सबके चेहरे पर छाई लाली कोरोनो की दूसरी लहर की दौर बढ़ चली फतह की ओर देश  के टॉप में पहुँचे ...

कोरोना_कहर_में_ड्रोन_हमला

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यह हम पढ़ते आए हैं विज्ञान वरदान भी है और अभिशाप भी कोरोना कहर में मानवता सज्जनता, बचाव के उपाय महामारी रोकने के दॄढ उपाय  इसमें जी जान से लग...
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कामेश्वर श्रीवास्तव निरंकुश
समाज की यथार्थ भूमि पर संस्कार और विवेक की कशमकश ही कविता का विषय होती है.भागते-दौड़ते सन्दर्भ, जीवन की विसंगतियों और समय की आपाधापी से उत्पन्न स्थितियों के खटते-मीठे अनुभव ही मस्तिष्क में घनीभूत हो कर हृदय से होते हुए. कलम की नोक से छलक पड़ते हैं. कविता मेरी स्वाभाविक अभिव्यक्ति, संकल्प है और विश्वास.व्यस्तता मेरी नियति है. इसी व्यस्तता के मध्य शब्दों के झरने फूट पड़ते हैं. शब्द झरनों के चिरंतन स्पर्श से ऊर्जाविंत हो जाता हूँ......
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