हर तरफ़ खामोशियाँ हैं और हम हैं।
अँधेरी बस्तियाँ हैं और हम हैं।।
साथ कोई हो न हो अपना यहाँ,
बेवजह मस्तियाँ हैं और हम हैं।।
कलम कागज़ और सियाही खून की,
गीत ग़ज़ल रुबाइयाँ हैं और हम हैं।।
रस्में - इन्सां और मज़हब है रिवाजों में
बस वही बैसाखियाँ हैं और हम हैं।।
सुलझा न पाया लाख कोशिश की यहाँ
उलझी हुई गुत्थियाँ हैं और हम हैं।।
इसको कहूँ मैं बदनसीबी या 'निरंकुश'
यह हमारी गलतियाँ हैं और हम हैं।।
--- निरंकुश ।
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