Sunday, 24 March 2013

खुशियाँ बटोरें

खुशियाँ बटोरें 


 
बहुत मिले 
बीते वर्ष में शब्द के चिटोरे 
नव वर्ष में शब्द के गुंथे 
कविता के नांव पर चढ़कर 
खुशियाँ बटोरें 
 
आन्तरिक परिपूर्णता के लिए 
प्रयासरत मानवीय जीवन में 
खुशियों के खजाने खोजें 
हमारे अस्तित्व की गुत्थी सुलझेगी
अमनुर्षिक प्रवृतियों को छोडें 
नव वर्ष में खुशियाँ बटोरें

परस्पर व्यवहार में 
विचलित करने वाले
सायास या अनायास निकले शब्द 
सम्प्रेषण की अयोग्यता को
दुःख के चिन्ह न मान कर 
संबंधो के पिटारे में सहेज कर रखें  
भविष्य में स्नेह की धारा फूटेगी 
शब्दों के शिल्पकार से नाता न तोड़े 
खुशियाँ बटोरें
 
कविता कहानी उपन्यास को 
शब्दों के मकडजाल के रूप में न देखकर 
एक खास किस्म के 
सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक प्रवृतियों के 
बीज समय के रूप में देखें 
साहित्यिक काल खण्ड समझकर
इसे न छोड़े  
खुशियाँ बटोरें.

 

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