नव वर्ष में जय हो
दीपशिखा से
देदीप्यमान
और अब
दिव्य मशाल बनते जा रहे हैं हम
एक लम्बा अर्सा गुजर गया
हमारे कर्मो का गंगा रूपी जल
अपरिमित मात्र में
जन कल्याण करता हुआ
सागर में जा मिला हैं
सद्चार से जुडी जीवात्मा का
न आदि हैं न अंत
नव वर्ष में प्रभु से हैं प्रार्थना
सृष्टी के प्रत्येक श्रेयस्कर काम में रहें कर्ताव्यवान
राष्ट्रीयता और संस्कार
सर्वदा रहे विधमान
सम्पादित कार्य
नित्य नूतन अमरत्व की सृष्टी करती रहे
आपके हर दुःख दर्द कष्ट क्लेश को हटाकर
सुख समृद्धि हर्ष उत्कर्ष
जीवन में भरती रहे
आपकी जय हो
नव वर्ष मंगलमय हो .
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