एक एक अक्षर को समेटकर
शब्दों को एकजुट कर
वाक्यों को पंख बनाकर
फैले असीमित गगन में
मुझे दूर तक उड़ना है
बढ़ते जाए कदम
कभी नहीं रुकना है
आगे ही बढ़ना है।
हसरतें बड़ी पंख छोटे हैं
रास्ता कठिन तेज झोंके हैं
पथ पर इधर उधर
कैक्टस के कांटे हैं
लाभ हानि क्यों देखूं
घाटे ही घाटे हैं
धरा से गगन तंक
मुझे बस जुड़ना है।
कभी नहीं रुकना है
आगे ही बढ़ना है।।
बागों में बहुत कलियाँ हैं
कुछ झरती हैं कुछ खिलती हैं
तेज हवा के झोकों से
इधर उधर गिरती हैं
तूझे गिरना या झरना नहीं
तूझे तो खिलना है।
कभी नहीं रुकना है
आगे ही बढ़ना है।।
तुम 'सुमन' हो पर
नहीं होने दो अहसास
प्रच्छन्न प्रतिभाएँ
दे रही तेरा साथ
कदमों से नापोगी
पूरा आकाश
मुझे लक्ष्य पर अटल रहना है।
कभी नहीं रुकना है
आगे ही बढ़ना है।।
आ रहे हैं अवरोध
पर दूर तक बहना है
रूखी सूखी खा बड़ी हुई
दुर्गम पर्वत पर चढ़ना है
ऊर्जा है बहुत तुझमे
कभी नहीं डरना है।
कभी नहीं रूकना है
हां आगे ही बढ़ना है।
आगे ही बढ़ना है।
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