इससे पहले कि
मुझसे कुछ कहो
यह जान लो
मैं लाड़ला हूँ माँ का
सुपुत्र हूँ पिता का
शान हूँ परिवार का
स्वाभिमानी हूँ घर बार की।
मेरे अरमान
मेरी चाहत
असीमित है
जानकर भी तुम
नहीं जान पाओगे
मेरी अस्मिता
नहीं पहचान पाओगे
प्रकृति प्रदत्त हैं
मेरा कद
मेरी बलिष्ठ भुजाएं
चेहरे पर चेचक के दाग़
मेरी सृजन शक्ति
निरंकुश के नाम
मेरी कविताएं
मेरा मृदुल स्वभाव
मेरे प्रति औरों का आकर्षण
मेरी सारी खूबियाँ
कितना गिनाऊँ
इससे पहले कि.....
मेरी सांसों में
भारत माता की जयकार है
भारतीय सैनिकों से प्यार है
स्वयं मिटकर जो
दूसरे को संवार दे
राष्ट्र के प्रति प्यार दे
दुश्मन देखकर थर्राए
हिम्मत कहाँ जो आँख मिलाए
मैं राष्ट्रीयता की पुकार हूँ
समझ गए न
इससे पहले कि .....
तुम्हारी क्या चाहत है
आँखों की डोरी बता रही है
मेरी आत्मा मुझे चेता रही है
यहाँ नहीं मिलेगा पनाह
कुछ नहीं कर पाएगा
धारदार निगाह
पीछा छोड़ दो मेरा
इतना जान लो
इससे पहले कि .....
प्रशंसा सुनते सुनते
पक गए हैं मेरे कानं
एक भी शब्द नहीं बोलेगा
मेरा जुबान
कभी नहीं टूटेगा
मेरा अरमान
मैं काव्यकार हूं
रचनाकार हूं
भारतीय साहित्य की
अमिट हूँ शब्दकार हूं
यह मान लो
इससे पहले कि .....
*****
शिल्पी कुमारी "सुमन"
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