आजाद हिंद फौज की सेना दुश्मन से थी लोहा लेती।
किसी घोर संकट में भी वह थी अपनी सेवा देती।।
हमें गर्व है उस सेना पर , बड़ा काम था उसका।
और काम के बल पर ही तो, बड़ा नाम था उसका।।
आजाद हिंद सेना के जवान थे धीर, वीर बलशाली।
सिर में कफ़न बांधकर करते थे भारत की रखवाली।।
भीषण गर्मी में, कड़क ठंढक में और घोर वर्षा में,
उनकी मनती थी होली , उनकी मनती थी दीवाली।।
पर्वत पर भी रहते थे, घाटी में , खंदक खाई में।
डुबकी लेते थे महासिंधु की , निस्तल गहराई में।
उनकी थी सेना जल में, थल में, और थी वायु में भी,
पल में थे जाते ऊपर और वे , नभ की ऊँचाई में।।
भारत माँ के बेटे थे आजाद हिन्द फौज के बेटे।
कभी खड़े होकर लड़ते थे और कभी वे लेटे लेटे।।
वे अप्रतिम वीर जवान थे , वे रण में अर्जुन थे,
नेताजी सुभाष के नेतृत्व में , उनके धुन थे पक्के।।
बंदूकों, तोपों के आगे डटे खड़े वे रहते थे।
और वर्फ़ की चादर ओढ़े कहीं भी पड़े रहते थे।।
उनका साहस अतुलनीय था , और इरादे थे पक्के।
दुश्मन से लोहा लेते थे , और उनके छुड़ाते छक्के।।
आज नेताजी के जन्म दिन पर उन्हें कोटि कोटि नमन।
★★★
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