Monday, 26 October 2015

वाद्य, गीत और संगीत

वाणी का श्रृंगार है संगीत
संगीत का सौंदर्य है नृत्य
नर्तन का आभूषण है वाद्य
झारखण्ड की धरती पर 
चलना ही नृत्य है
बोलना ही संगीत है
वक्ष व् नितम्ब ही मांदर है
वाद्य की बात ही निराली है
वाद्य के अभाव में 
जीवन नीरस एवम् खाली है
घर का आँगन
गाँव का आँगन
अखरा
पूरे इलाके का अखरा
जतरा
अखरा या जतरा
नृत्य संगीत व् वाद्यों का संगम स्थल
अखरा में
नगाड़ा बजाते
मांदर की ताल बोलते
बांसुरी की तान छेड़ते
बनम
केंदरा
टोहिला की सुरीली ध्वनि
दिन हो या अवनि
ध्वनि सुनते ही
दिल लगता है मचलने
मन बहकने का देता है अहसास
वाद्य की ध्वनि
उत्पन्न  करता है
उत्साह उमंग और उल्लास
व्यतीत होता है
दिन श्रम में
रात मधुर गायन वादन नर्तन में
हृदय का पूर्णरूपेण
आनंद हेतु समर्पण
यह जानते हुए भी
पाश्चात्य संस्कृति का अनुकरण
उनके वाद्य गीत और संगीत का अनुसरण
धड़ल्ले से हो रहा है प्रयोग 
फैला रहा है
कामुकता और नग्नता का रोग
येन केन प्रकारेण
इससे लेना होगा निदान
ताकि मिट न सके
झारखण्डी संस्कृति की पहचान।
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