Saturday 10 March 2018

होली में मोबाइल


होली में रंग गुलाल के बदले
मोबाइल लिए कवि निरंकुश निकले
चित्रांश परिवार में आए
मोबाइल की स्थिति सुनाए
... .. *अब सभी सम्वेदनाएँ
        हथेली में धँस रही है,
        बाजार की शक्तियों
        शिकंजा कस रही है,
        एसएमएस के जरिये
        भावनाएं बह रही है,
        वर्जनाओं की चट्टानें
        रेत बन ढह रही है
        टॉवर, टॉवर बड़ा और आदमी
        छोटा होता  जा रहा है।
        सच मानिए मोबाइल कहीं कहीं
        घिनौना होता जा रहा है।।
                      ★★★
      ©  #कामेश्वर_निरंकुश

No comments:

Post a Comment