Sunday, 19 February 2017

होली में कृष्ण का आगमन

एक दिन की बात
अकस्मात
भगवान कृष्ण ने सोचा
चलो भारत जाएँ
भारत में ही होली मनाएँ
जहाँ मैंने
बाल लीलाएं दिखाई थी
ग्वाल -  बाल और गोपियों के संग
होली मनाई थी
मस्ती और उमंग लिए
हर्ष - उल्लास संग लिए
भारत आने का मन बनाया
चल पड़े
स्वयं को किसी स्थान पर पाया।

रास्ते में एक राहगीर से पूछा
तुम मुझे जानते हो
मैं भगवान कृष्ण हूँ
मुझे पहचानते हो
राहगीर चोंक कर बोला-
कहाँ का कृष्ण
कैसा भगवान
तुम मेरे लिए हो अनजान
यह पाकिस्तान है
इसे जिन्ना ने बनाया है
उसे ही हम जानते हैं
वे ही हमारे रहबर हैं
बस उसे ही पहचानते हैं।

कृष्ण ने भारत जाने का रास्ता पूछा
राहगीर की आँखें चढ़ गई
भवें तन गई
मत लो नाम भारत का
गिरफ्तार कर लिए जाओगे
कभी वापस नहीं जा पाओगे
अगर बन जाओ आतंकवादी
विध्वंशक हथियारों से लैस करा कर
सूर्योदय के पूर्व ही
भारत पहुंचा दिए जाओगे
कृष्ण हैरान थे
उनकी बातें सुनकर परेशान थे।

किसी तरह घूमते भटकते
कृष्ण पहुँच गए भारत
चहल - पहल बढ़ती भीड़
आकर्षक स्वागत द्वार
देखकर मुस्कुराए
हाथ जोड़े स्वच्छ सफेद वस्त्र में
एक सज्जन को आते देख
उससे कृष्ण ने वही प्रश्न दुहराया
वह था नेता
बोला
किसी भगवान कृष्ण को नहीं जानता
मैं तो अपने वोटर को ही भगवान मानता
इस बार के चुनाव में
वोटर ने ही मुझे जिताया है
जीत की ख़ुशी में
सम्मान हेतु
स्वागत द्वार बनाया है
उनका अपूर्व योगदान है
वोटर ही भगवान है।

एक अन्य व्यक्ति
मस्ती में गुनगुनाता हुआ
होली का गीत गाता हुआ
आते देख
कृष्ण से वही प्रश्न पूछा
उसने कहा-
मैं तो रजनीश का भक्त हूँ
वे ही भगवान हैं
उसने आज पृथ्वी पर स्वर्ग लोक बसाया है
मैंने भी वहाँ का भरपूर आनंद उठाया है
" सम्भोग से समाधि तक "
नहीं जानते हो
कैसे अजीब व्यक्ति हो
स्वयं को भगवान मानते हो
कृष्ण यह सुनकर
बहुत थे परेशान
अपने भारत में आकर
खुद थे हैरान।

कृष्ण ने सोचा
मैं हूँ यदुवंशी
यादवों के संग मैंने खेला कूदा
वे मुझे जानते होंगे
अपने कृष्ण को
अवश्य पह्चानते होंगे
कृष्ण एक यादव के समक्ष आए
वहाँ भी वही प्रश्न दुहराए
वह था
बिहार का भोला भाला किसान
बोला -
कौन यादव किसका भगवान
यादवों में मैं
लालू यादव को जानता हूँ
उसे ही भगवान मानता हूँ
उसी ने यादवों को जगाया है
यादवों को समाज में उठाया है
कृष्ण स्वयं को बहुत बड़ा
राजनीतिज्ञ मानते थे
परन्तु यहाँ उससे भी बड़े राजनीतिज्ञ हैं
वह नहीं जानते थे।

कृष्ण आगे बढ़े
सामने देखा
कुछ लोग
ओपलें
सूखी हुई लकड़ियाँ
बिखरे पड़े पत्ते
जमा कर रहे थे
कृष्ण ने सोचा
होलिका दहन की तैयारी है
होली की पहली रात की बारी है
वहाँ पहुँचते ही कृष्ण ने
एक वृद्ध से वही प्रश्न पूछा-
वृद्ध ने आक्रोश भरे शब्दों में कहा -
कहाँ अब भगवान
जहाँ पैसा ही बन बैठा है भगवान
कृष्ण ने पूछा -
फिर यह होलिका दहन की तैयारी क्यों
उसने कहा -
होलिका दहन छोडो
यहाँ प्रत्येक दिन
बहुएं जलाई जाती हैं
भगवान की कृपालु निगाहें
पता नहीं वहाँ क्यों नहीं जाती हैं
क्या हर दिन होनेवाले
होलिका दहन को
रोक पाएगा भगवान ?

आतंकी
प्रत्येक दिन आग लगाते हैं
आम लोग
सहमे सहमे नजर आते हैं
आतंकियों ने ही वर्ल्ड ट्रेड सेंटर गिराए थे
अमेरिका के सामने
क्या वे थर्राए थे ?
लाल किला में प्रवेध
संसद भवन पर हमला
अमेरिकी दूतावास पर आघात
मुम्बई का नर संहार
दिल्ली बेंगलुरु मुम्बई के विस्फोट
क्यों नहीं  सका भगवान रोक ?
गुजरात का दंगा
नागालैंड असम की बर्बरता
ओबेरॉय होटल में गोलियों की बौछार
आतंकवादियों द्वारा खुलेआम नर संघार
प्रत्येक दिन सुरक्षा प्रहरियों पर प्रहार
जनता करती है चीत्कार
राज्यों की रक्षा हेतु
नागरिकों की सुरक्षा हेतु
सुरक्षाकर्मी होते हैं शहीद
भगवान आतंकवादियों की
क्यों नहीं करते मिटटी पलीद
प्रहरी बचाते हैं हमारी जान
तब होता है कल्याण
मैं कितनी घटनाएं गिनाऊँ
आपको कैसे समझाऊँ
न जाने कहाँ हैं भगवान
वे तो भक्त वत्सल कहलाते हैं
पर वे भी तो चुप हैं
वे क्यों नहीं आते हैं ?
यह कहकर वृद्ध चला गया
आज पर्व त्यौहार के नाम पर
कौन नहीं छला गया।

कृष्ण समय को पहचान कर
परिस्थितियों को जान कर
इसी निष्कर्ष पर पहुँचे
आज यहाँ बहुत हो गए हैं भगवान
अतः मुझे यहाँ से जाना है
स्वर्ग लोक में ही होली मनाना है।
                 *****
              ©   #कामेश्वर_निरंकुश।

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