Sunday, 19 February 2017

बसंत का आना

प्रकृति की गोद में इठलाना
धन्य हो जाना है
बसंत का आना।

खेतों में
सरसों का
चटख पीलापन
नन्ही टहनियों में से
कलियों का चटखना
खिलने की ओर बढ़ना
बसंत का आना।

जीवन में
ऊर्जा का अंकुरण हो जाना
खिलना - खुलना
प्रकृति के साथ
मन का हरियाना
उमंग और तरंग में
बढ़ निकलना
कुछ कुछ
मधुर और मदिर हो जाना
बसंत का आना।

प्रकृति से
बंधे रहने का
तन मन
प्रफुल्लित करने का
सृजन क्षमता
संचित रखने का
बसंतोत्सव के रूप में
बसंत पंचमी
उत्सव मनाने का
स्वागत के लिए
पूर्व से ही
लोहड़ी
मकर संक्रांति
पोंगल जैसे
त्यौहार
हमारे पूर्वजों द्वारा
बनाना और मनाना
युग युगों से सीखा दिया
अहा बसंत !
मस्त बसंत !!
मादक बसंत !!!
बसंत का आना।
      *****
©   #कामेश्वर_निरंकुश

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