Sunday, 7 April 2013

आजाद भारत का काला अध्याय



देश की राजधानी में
कुछ दरिन्दगो ने लिख डाला
सोलह दिसम्बर दो हजार बारह को
काला अध्याय

राजघानी की सड़क पर
सरपट दौड़ती सवारी बस
बस में नारी
दबोच ली गई
उन बहशियों द्वारा
बलात्कार की शिकार
गिड़गिड़ाई
चिल्लाई 
अपनी अस्मत को नहीं बचा पाई
अंततः चलती बस से
दी गई नीचे फेंक
मानवता का यह था अतिरेक
हो गई वह लहू-लुहान
देख कर स्तब्ध था हिन्दुस्तान
मेरा भारत महान
 
वह चाहती थी जीना
किसी ने नहीं सूनी उसकी पुकार
अंततः जीवन से गई हार
तेरह दिनों तक
कष्टप्रद जीवन जिया
काल ने उसे
अठारह दिसम्बर को छीन लिया
इस घटना से हर ओर मचा चित्कार
बलात्कारियों को फाँसी मिले
यही थी पुकार
इसी पर वहाँ रखा गया ध्यान
मेरा भारत महान

घटना के बिरोध में
शांति पूर्वक प्रदर्शन करने पर
क्यों बरसायी जाती हैं लाठियाँ 
क्यों फेका जाता उनपर
पानी का बौछार 
प्रदर्शनकारियो पर
क्यों होता ही प्रहार
नारियों की कब होगी सुरक्षा 

कब कहेगें
आज़ाद भारत है अच्छा
इस पर रखे ध्यान
मेरा भारत महान

हर शहर में
नगर में 
डगर में 
 प्रत्येक दिन घटती है घटनाएँ
खुलेआम छेड़खानियाँ 
सुनती हैं फब्तियाँ
होती है बलात्कार की शिकार
बलात्कारियों की भरमार
क्यों विवश ही सरकार
सियासती गलियारों से क्यों नहीं आता
अनुकूल बयान
मेरा भारत महान

जनता की है यह मांग
बलात्कारियों को फांसी पर झुला दी जाए 
बनाया जाए ऐसा कानून
बहसियों का खत्म हो जुनून
अच्छा होता
कठोर दंड का प्रावधान
उसे सबक सिखाता
उन्हें फांसी पर झुला दिया जाता
इसी पर टिका है
सबो का ध्यान
मेरा भारत महान

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